एकादशी कब है (2025) जानिए पूरी जानकारी हिन्दी मे !

एकादशी हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। साल 2025 में कुल 24 एकादशी व्रत होंगे, प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है।

2025 में एकादशी व्रत की तिथियां:

  • 10 जनवरी 2025, शुक्रवार: पौष पुत्रदा एकादशी
  • 25 जनवरी 2025, शनिवार: षटतिला एकादशी
  • 8 फरवरी 2025, शनिवार: जया एकादशी
  • 24 फरवरी 2025, सोमवार: विजया एकादशी
  • 10 मार्च 2025, सोमवार: आमलकी एकादशी
  • 25 मार्च 2025, मंगलवार: पापमोचिनी एकादशी
  • 8 अप्रैल 2025, मंगलवार: कामदा एकादशी
  • 24 अप्रैल 2025, गुरुवार: वरुथिनी एकादशी
  • 8 मई 2025, गुरुवार: मोहिनी एकादशी
  • 23 मई 2025, शुक्रवार: अपरा एकादशी
  • 6 जून 2025, शुक्रवार: निर्जला एकादशी
  • 21 जून 2025, शनिवार: योगिनी एकादशी
  • 6 जुलाई 2025, रविवार: देवशयनी एकादशी
  • 21 जुलाई 2025, सोमवार: कामिका एकादशी
  • 5 अगस्त 2025, मंगलवार: श्रावण पुत्रदा एकादशी
  • 19 अगस्त 2025, मंगलवार: अजा एकादशी
  • 3 सितंबर 2025, बुधवार: परिवर्तिनी एकादशी
  • 17 सितंबर 2025, बुधवार: इन्दिरा एकादशी
  • 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: पापांकुशा एकादशी
  • 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार: रमा एकादशी
  • 2 नवंबर 2025, रविवार: देवुत्थान एकादशी
  • 15 नवंबर 2025, शनिवार: उत्पन्ना एकादशी
  • 1 दिसंबर 2025, सोमवार: मोक्षदा एकादशी
  • 15 दिसंबर 2025, सोमवार: सफला एकादशी
  • 30 दिसंबर 2025, मंगलवार: पौष पुत्रदा एकादशी

एकादशी व्रत के नियम:

  • व्रत के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पंचामृत, पीले फूल, फल, मिठाई और तुलसी अर्पित करें।
  • एकादशी के दिन अन्न का सेवन न करें, विशेषकर चावल से बनी वस्तुएं न खाएं।
  • व्रत से एक दिन पूर्व सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन से बचें।
  • व्रत के दौरान ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें और एकादशी व्रत की कथा पढ़ें।
  • व्रत का पारण द्वादशी तिथि को करें।

एकादशी व्रत के पालन से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही यह व्रत मोक्ष की प्राप्ति में सहायक माना जाता है

एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे भगवान विष्णु को समर्पित पवित्र दिन माना जाता है। यह व्रत हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। इसके अलावा, यह व्रत मन, शरीर और आत्मा की शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

एकादशी व्रत का धार्मिक महत्व

  1. पुण्य और मोक्ष का साधन:
    एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. भगवान विष्णु की कृपा:
    एकादशी को भगवान विष्णु के प्रिय तिथियों में से एक माना गया है। इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  3. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित:
    विष्णु पुराण, पद्म पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में एकादशी व्रत का उल्लेख है। इसे सभी व्रतों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।

एकादशी व्रत का वैज्ञानिक महत्व

  1. शरीर की शुद्धि:
    उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं।
  2. मानसिक शांति:
    एकादशी व्रत के दौरान ध्यान और प्रार्थना से मानसिक शांति मिलती है। यह मन को सकारात्मकता से भर देता है।
  3. आहार नियंत्रण:
    इस व्रत में हल्का और सात्विक आहार लेने का नियम होता है, जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।

एकादशी व्रत की विशेषताएं

  1. दो प्रकार की एकादशी:
    • शुक्ल पक्ष की एकादशी: इसे शुभ फल देने वाला माना जाता है।
    • कृष्ण पक्ष की एकादशी: इसे पापों का नाश करने वाला बताया गया है।
  2. भिन्न-भिन्न नाम और महत्व:
    प्रत्येक एकादशी का अपना नाम और महत्व होता है, जैसे निर्जला एकादशी, देवशयनी एकादशी, मोहिनी एकादशी, आदि।

व्रत के नियम और विधि

  1. व्रत के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें।
  2. व्रत के दौरान अन्न का सेवन न करें और केवल फलाहार करें।
  3. विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ, या भगवान विष्णु के भजन करें।
  4. व्रत का पारण द्वादशी तिथि को करें।

एकादशी व्रत से मिलने वाले लाभ

  1. आत्मा की शुद्धि और पवित्रता।
  2. मनोकामना की पूर्ति।
  3. पारिवारिक सुख और शांति।
  4. भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति।

सारांश

एकादशी व्रत न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से भी लाभकारी है। यह व्रत आत्मा को पवित्र करने के साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ साधन है।

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